IPO क्या है ?
आईपीओ क्या है? mktbnews |
1. IPO क्या है ?
IPO का मतलब इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स है जब एक कंपनी अपने समान्य स्टॉक या शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करता है तो उसे आईपीओ, इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (सार्वजनिक प्रस्ताव) कहते हैं। लिमिटेड कंपनियों द्वारा ये आईपीओ इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो सके। शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीद शेयर बाजार में हो सकेगी।
2. आईपीओ के प्रकार (TYPES OF IPO)
आईपीओ को दो तरह से बांटा जा सकता है और इसे दो भागों में बांटने का कारण उसकी कीमतों का निर्धारण होता है। फिक्स प्राईस इश्यू या फिक्स प्राईस आईपीओ (FIX PRICE ISSUE OR FIX PRICE IPO) बुक बिल्डिंग इश्यू या बुक बिल्डिंग आईपीओ (BOOK BUILDING IPO) फिक्स प्राईस आईपीओ (FIX PRICE IPO) आईपीओ जारी करने वाली कंपनी आईपीओ जारी करने से पहले इनवेस्टमेंट बैंक (INVESTMENT BANK) के साथ मिलकर आईपीओ के प्राईस के बारे में चर्चा करती है। इनवेस्टमेंट बैंक के साथ मिटिंग में कंपनी आईपीओ का प्राईस डिसाइड (DECIDE) करती है. उस फिक्स प्राईस पर ही कोई भी इनवेस्टर आईपीओ को सबस्क्राईब कर सकते हैं। आप केवल उसी प्राइस पर आईपीओ खरीद सकते हैं जो प्राईस निर्धारित किए गए है। बुक बिल्डिंग आईपीओ (BOOK BUILDING IPO) इसमें कंपनी इनवेस्टमेंट बैंक (INVESTMENT BANK) के साथ मिलकर आईपीओ का एक प्राईस बैंड (PRICE BAND) डिसाइड करती है। जब आईपीओ की प्राईस बैंड डिसाइड हो जाती है उसके बाद ही इसे जारी किया जाता है। इसके बाद डिसाइड किए गए प्राईस बैंड में से इनवेस्टर अपनी बिड सबस्क्राईब (SUBSCRIBE) करते हैं। बुक बिल्डिंग आईपीओ के प्राईस बैंड में दो तरह के होते हैं।
3. आईपीओ में इनवेस्ट कैसे करे ?
आईपीओ क्या है और आईपीओ क्यो जारी किया जाता है यह सब तो जान लिया. अब जानते है कि आख़िर आईपीओ में इनवेस्ट कैसे कर सकते हैं? आईपीओ जारी करने वाली कंपनी अपने आईपीओ को इनवेस्टर्स के लिए 3-10 दिनों के लिए ओपन करती है। मतलब कोई भी आईपीओ जब आता है तो उसे कोई भी इनवेस्टर 3 से 10 दिनों के भीतर ही खरीद सकता है। कोई कंपनी अपने आईपीओ जारी करने की अवधि सिर्फ 3 दिन भी रखती है तो कोई तीन दिन से ज्यादा रखती है। आप इन निश्चित दिनों के भीतर की कंपनी की साईट पर जाकर या रजिस्टर्ड ब्रोकरेज के जरिए आईपीओ में इनवेस्ट कर सकते हैं। अब अगर आईपीओ फिक्स प्राईस इश्यू है तो आपको उसी फिक्स प्राईस पर आईपीओ के लिए अप्लाई करना होगा, और अगर आईपीओ बुक बिल्डिंग इश्यू है तो आपको उस बुक बिल्डिंग इश्यू पर ही बिड लगानी होगी।
4. आईपीओ (IPO) लाने के कारण
किसी नए प्रोडक्ट या सर्विस की लॉंच के लिए आईपीओ जारी करने की एक और वजह होती है. कंपनी द्वारा अपने नए प्रोडक्ट्स और सर्विस का लॉंच करना। जब कभी कोई कंपनी किसी नए प्रोडक्ट्स या सर्विस की शुरूआत करती है तो कंपनी चाहती कि उस सर्विस या प्रोडक्ट्स का प्रोमोशन हो और वह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। इसलिए कंपनी आईपीओ या इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) जारी करती है। कर्ज कम करने लिए जब कंपनी ज्यादा कर्ज में होती है तो इस स्थिति में भी कंपनी आईपीओ जारी करती है। ऐसे में कंपनी किसी बैंक से लोन लेकर कर्ज की भरपाई करने से बेहतर समझती है कि कंपनी के कुछ शेयर बेच दिए जाए और कर्ज का भुगतान किया जाए। ऐसे में कंपनी के कर्ज का भी भुगतान हो जाता है और कंपनी को नए इनवेस्टर भी मिल जाते हैं और इनवेस्टर को कंपनी में कुछ हिस्से का मालिक बनने का मौका भी मिल जाता है। विस्तार के लिए (FOR EXPANSION) जब किसी कंपनी को लगता है कि वह लगातार आगे बढ़ रही है और उसे ज्यादा विस्तार की जरूरत है यानि अब कंपनी को दूसरे शहरों में भी विस्तार करना है और इसके लिए उसे लोगों की भी जरूरत है तो इस स्थिति में कंपनी आईपीओ जारी करती है। कंपनी के विस्तार के लिए वैसे तो वह बैंक लोन का सहारा भी ले सकती है, लेकिन बैंक लोन को कंपनी को एक निश्चित समय पर निश्चित ब्याज (INTEREST) के साथ लौटाना भी होता है। जबकि अगर कंपनी आईपीओ के जरिए फंड इकट्ठा करती है तो उसे किसी को न तो वह पैसा लौटाना पड़ता है और न ही किसी तरह का ब्याज देना पड़ता है। यह तो हुआ कंपनी का फायदा। अब आईपीओ खरीदने वाले लोगों के फायदे की बात करते हैं। जो भी इनवेस्टर आईपीओ में इनवेस्ट करते हैं उन्हें उस खरीदे गए आईपीओ के बदले में कंपनी में कुछ प्रतिशत की हिस्सेदारी मिल जाती है। यानि अगर किसी कंपनी ने कुछ शेयर आईपीओ के लिए निकाले हैं और आपने उन शेयर्स का दो प्रतिशत हिस्सा खरीदा है तो आप उस कंपनी के दो प्रतिशत हिस्से के मालिक होते हैं। इस तरह से आईपीओ से कंपनी और इनवेस्टर दोनों को फायदा होता है।
5. IPO पर सेबी की राय
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानि SEBI (Securities and Exchange Board of India) आईपीओ लाने वाली कंपनियो के लिए एक सरकारी रेग्युलेटरी है। यह आईपीओ लाने वाली कंपनियो से नियमों का सख्ती से पालन करवाती है। कंपनी हर तरह की जानकारी सेबी को देने के लिए बाध्य होती हैं। यह एक तरह की अनिवार्य शर्त है कि कंपनी अपनी सारी जानकारी सेबी को देगी। यही नहीं, आईपीओ लाने के बाद सेबी कंपनी की जांच भी करवाती है, कि आखिर उसके द्वारा दी गई जानकारी सही है या नहीं।
6. IPO में निवेश
वैसे तो आईपीओ को एक जोखिम भरा निवेश माना गया है, क्योंकि इसमें कंपनी की शेयरों के प्रगति के संबंध में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, फिर भी जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए आईपीओ एक बेहतर विकल्प है। अगर आपको शेयर बाजार में भविष्य बनाना है तो आपको आईपीओ की जानकारी होनी ही चाहिए।
7. IPO से लाभ
आईपीओ में निवेशक तरफ से लगाई गई पूंजी सीधे कंपनी के पास जाती है। हालांकि विनिवेश के मामले में आईपीओ से जो पूंजी मिलती है वह सीधे सरकार के पास जाती है। यदि एक बार इनके शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है, हां एक बात जरूर याद रखें शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले लाभ और हानि की जिम्मेदारी निवेशक की होगी।
8. IPO में कैसे करें निवेश ?
जब भी आप आईपीओ खरीदने के लिए किसी कंपनी का चयन करते हैं तो सबसे पहले आपका ब्रोकर बेस्ट होना चाहिए। कोशिश करें कि ब्रोकर के साथ मिलकर कंपनी का चयन करें। जो कंपनीं चुन रहे हैं उससे तीन-चार अन्य कंपनियों की भी तुलना करें। कुछ दिन तक इन सभी कंपनियों की प्रगति को देखने के बाद ही निवेश करें। रेटिंग एजेंसी की राय भी बहुत मायने रखती है। कंपनी के आईपीओ की कीमत भी देखें, बाजार में कंपनी के प्रमोटर की साख देखें और दूसरे निवेशकों से कंपनी के आईपीओ को लेकर जानकारी लेते रहें।
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